यहि भौतिक शरीर मा, केवल दुई चीज दुख अऊर खुशी का अनुभव कइ सकत हैं। उ आत्मा अऊर भगवान है। हमार मन, आँखी, जीभ, कान, नाक, त्वचा आदि मनुष्य के लिए औजार हैं। ई अच्छा या बुरा अनुभव नाहीं करत है। अच्छा अऊर बुरा का अनुभव करै के लिए उ अंग आत्मा के औजार हैं। आंख नाक कान मन मन आदि औजार को ज्ञान नहीं है ॥ ई निर्जीव चीजन के तरह है। निर्जीव चीजें अच्छा अऊर बुरा महसूस नाहीं कइ सकत हैं। हमका ई नाहीं कहै का चाही कि बालू सुखी होइ जात है, काहे से कि बालू एक निर्जीव चीज है; यहिमा अच्छा अऊर बुरा अनुभव करै का ज्ञान नाहीं है। तौ हमका ई नाहीं कहै का चाही कि मोर मन खुश है। काहे से कि मन हमरे लिए एक औजार है। औजार कुछौ अनुभव नाहीं करत है।
मनुष्य द्वारा बनावा गा घर, जवन रेत, सीमेंट आदि से बना है। घर मा कुछौ अनुभव नाहीं होत है काहे से कि ई एक निर्जीव चीज है। घर मा रहै वाला मनई अच्छा अऊर बुरा अनुभव करत है। यहिसे भगवान हमरे रहै खातिर एक छोट घर बनाइन हैं, जेहिका मानव शरीर कहा जात है। मानव शरीर कुछौ अनुभव नाहीं कइ सकत है। आत्मा, जवन शरीर के भीतर है, सुख अऊर दुख का अनुभव कइ सकत है। त हमका ई जानय के चाही कि केवल आत्मा के पास ही ज्ञान है जेका अनुभव कीन जा सकत है। मनुष्यन के मदद करै के लिए अंगन के तरह मनुष्य के शरीर मा औजार उपलब्ध हैं। यहिसे औजार कुछौ अनुभव नाहीं कइ सकत हैं। जब हम रोवत हैं, तौ हमार आँखिन मा पानी आवत है, हमार गिलास नाहीं।