जब कोई जीव पीड़ित होता है, तो उस जीव के लिए सहायता करने वाला मन उत्पन्न होता है, और उस दयालु मन से उस जीव की सहायता करने का कार्य ही जीवन की करुणा है। वह कार्य ईश्वर की पूजा है।
संसार में जीव अनेक प्रकार के दुखों से पीड़ित हैं। उदाहरण के लिए: भूख, प्यास, बीमारी, इच्छा, गरीबी, भय और हत्या जीवों को उस दुख से उबारने में सहायता करना ही करुणा का कार्य है। इस प्रकार से अन्य जीवों की सहायता करने का नाम ईश्वर की पूजा है।